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सुबह के साढ़े सात बजे थें। शांतनु जी को चाय दे, अपनी चाय की प्याली लेकर सुगंधा जी बाल्कनी में आयीं ही थी कि डोरबेल घनघना उठी! पहलें तो उन्होंने ध्यान ...